Emotional Story of Father and Daughter in Hindi

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Emotional Story of Father and Daughter in HindiEmotional Story of Father and Daughter in Hindi खुद कभी एक Shirt भी नहीं सिलवाई लेकिन बेटियों को पढ़ाया…

ये कहानी है एक ऐसे पिता कि, जिसके बारे में जानकार आपकी आँखें नम हो जाएँगी. एक ऐसा पिता जिसने अपनी बेटियों के लिए अपने काम की पहचान छुपाई, अपने परिवार से छिप कर बहुत से काम किए उस नेक इंसान का नाम है इदरीस… Emotional Story of Father and Daughter in Hindi

khud kabhi shirt nhi pahni lekin kitaben laa kar di

इदरीस कहते हैं कि, मैं कभी अपने बच्चों को अपने काम के बारे में बताना नहीं चाहता था क्योंकि मुझे लगता था कि, जब उनको पता चलेगा कि, मैं सिर्फ एक labour हूँ उनको अच्छा नहीं लगेगा और मैं नहीं चाहता था कि, मेरे बच्चे मेरे कारण शर्म महसूस करें. मैं मजदूरी करने के बाद घर जाने से पहले public toilet में नहा लिया करता था ताकि घर पर बच्चों को मेरे काम के बारे में पता न चल जाए.

Objective:

इदरीस कहते हैं, मैं जो भी कर रहा था उसके पीछे मेरा एक ही लक्ष्य था कि, मेरी बेटियाँ educated बने सब बच्चों के जैसे पढ़ लिख जाएँ. मैं भी यही चाहता था कि, मेरी भी बेटियाँ सम्मान से खड़ी हों. मैं ये भी नहीं चाहता था कि, कोई उन्हें भी अपमानित करे जैसे मुझे किया जाता था. इसलिए मैंने अपनी सारी कमाई अपनी बेटियों की पढ़ाई में लगा दी और उनको school में पढाया. खुद कभी एक नई shirt भी नहीं सिलवाई, वो पैसे बचाकर उनकी books ला कर दी.

मेरे साथियों को धन्यवाद: Emotional Story of Father and Daughter

एक बार मेरे पास admission में कुछ पैसे कम पड़ रहे थे उनकी fees भी उसी दिन deposit करनी थी मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या करूँ? कहाँ से पैसे ले कर आऊँ? मैंने overtime में सफाई कर्मचारी की job भी की लेकिन आज कल पढ़ाई बहुत महँगी होने की वजह से पैसे कम पड़ ही जाते हैं. उस दिन समझ नहीं आ रहा था अपने घर जा कर बेटियों को निराश होते नहीं देख सकता था, मैं अपने आँसू छुपाता रहा, लोग मुझे देखते रहे लेकिन किसी ने भी मेरी कोई help नहीं की.

उस दिन समझ आया कि, एक गरीब एक लिए कुछ भी अच्छा नहीं होता. फिर उस दिन काम करने के बाद मेरे साथी जो वहाँ पर मेरे साथ सफाई का काम करते थे उन्होंने अपने एक दिन की कमाई मेरे हाथ में रख दी और कहा कि, हम तुम्हारा दर्द समझ सकते हैं और अपना मानते हो तो रख लो और मैं उन्हें मना नहीं कर पाया. उस दिन मैं public toilet में नहाया भी नहीं और घर जा कर मैंने अपनी बेटियों को सब सच्चाई बता दी.

Happy Endings:

आज इदरीस की बेटियाँ university pass कर चुकी हैं और अब वे इदरीस को काम भी नहीं करने देती, बेटियाँ part-time job करती हैं, tuition पढ़ाती हैं. एक दिन मेरी बेटियाँ मुझे वहाँ ले कर गईं जहाँ मैं सफाई कर्मचारी की job करता था और उन सभी साथियों को खाना खिलाया जिन्होंने उस दिन fees देने में help थी. इदरीस कहते हैं कि, अब वे खुद को गरीब नहीं मानते क्योंकि जिनके पास ऐसी बेटियाँ हैं वह पिता गरीब कैसे हो सकता है.

friends ये तो थी इदरीस की life की real story जिसे जान कर आपके दिल में भी इदरीस जैसे लोगों के लिए सम्मान बढ़ गया होगा, इरादा होता है तो मंजिल देर से ही सही लेकिन राही को मिल ही  जाती है एक हाथ फैला कर तो देखिe…

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