Inspirational Story from Abdul Kalaam in Hindi पढ़िए APJ Abdul Kalaam के जीवन की एक प्रेरणादायक कहानी, उन्हीं की जुबानी।
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मैं रामेश्वरम में मस्जिद गली में रहता था। रामेश्वरम अपने शिवमंदिर के लिए प्रसिद्ध है। रोज शाम मस्जिद से घर लौटते हुए मैं मंदिर के पास रुकता। यहाँ मुझे कुछ अजीब का Feel होता था क्योंकि, यहाँ मंदिर आने जाने वाले लोग मुझे शक की नज़रों से देखते थे। शायद वे हैरान होते थे कि, एक मुसलमान लड़का मंदिर के सामने क्या कर रहा है…? Inspirational Story from Abdul Kalaam in Hindi
सच्चाई तो यह थी कि, मुझे वहाँ मंत्रों का पाठ सुनना अच्छा लगता था। मुझे उनका एक भी शब्द समझ नहीं आता था लेकिन मानो उन मंत्रों में कुछ अजीब सा जादू था।
दरअसल मंदिर जाने का एक और कारण भी था वह था, मेरा मित्र रामनाथ शास्त्री। वह मंदिर के मुख्य पंडित का बेटा था। शाम के समय वो अपने पिता के साथ बैठकर मंत्रों का पाठ करता था। बीच-बीच में वो मेरी ओर देख कर Smile भी कर देता था।
Inspirational Story from Abdul Kalaam in Hindi
School में मैं और राम Class में पहली बेंच पर बैठते थे, हम बिलकुल भाइयों जैसे थे बस फर्क इतना था कि, वो जनेऊ पहनता था और मैं टोपी। वो हिन्दू था और मैं मुस्लिम।
जब मैं पाँचवीं कक्षा में था तब एक दिन एक नए Teacher हमारी Class में आए। वे काफी Strict लग रहे थे, उन्होंने अपनी हथेली पर डंडा ठकठकाते हुए पूरी Class का Round लगाया। Last में हमारे सामने आ कर ज़ोर से चिल्लाकर बोले, “ए सफेद टोपी वाले, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई पंडित जी के बेटे के साथ बैठने की?” चलो सबसे Last Bench पर जा कर बैठो। मुझे बहुत बुरा Feel हुआ। मैं अपनी रोनी सूरत और किताबें ले कर Last Bench पर बैठ गया। छुट्टी के बाद राम और मैं खूब रोए। हमें लगा कि, हम दोनों अब कभी दोस्त बनकर नहीं रह पाएँगे। उस दिन जब मैं घर लौटा तो पिता जी मेरी सूरत देख कर बोले तुम रो रहे थे, क्या हुआ? मैंने पूरी बात उन्हें बता दी। उधर राम ने भी अपने पिता जी को पूरी बात बता दी।
अगली सुबह राम दौड़ता हुआ हमारे घर आकर बोला पिताजी ने तुम्हें जल्द से जल्द हमारे घर बुलाया है। सच बताऊँ तो मैं डर गया मुझे लगा अब मुझे और डांट पड़ेगी। राम के घर हमारे नए Teacher को देख कर तो मेरी जान ही निकल गई। राम के पिता जी ने अध्यापक से सख्ती से कहा, “जो कुछ भी हुआ उसके लिए आपको कलाम से माफी माँगनी होगी।” मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि, पंडित जी अध्यापक जी को मुझसे माफी माँगने को कह रहे थे।
Abdul Kalaam life in Hindi
उन्होंने अध्यापक को समझाते हुए कहा, “ईश्वर की दृष्टि में सब एक समान है। कोई छोटा बड़ा नहीं होता। आपका अध्यापक होने के नाते कर्तव्य है कि, आपको उनकी अलग-अलग जन्म भूमि होने के बावजूद उन सब को मिलजुल कर रहना सिखाएँ। अब से आप इस School में नहीं पढ़ाएँगे। अध्यापक जी ने तुरंत क्षमा माँगी और मुझे गले लगाते हुए कहा कि, मुझे खेद है कि मैंने तुम्हारा दिल दुखाया।
राम के पिता जी ने देखा कि, जब अध्यापक जी को सच-मुच अपने किए पर पछतावा है तो पंडित जी ने उनको School में पढ़ाना जारी रखने दिया। राम और मैं फिर से पहली बेंच पर बैठने लगे। आज मैंने जीवन का एक बहुत बड़ा सबक सीखा।
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