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Jaap Sahib in Hindi PDF download जाप साहिब PDF Jaap Sahib Path Hindi Download Jaap Sahib Pdf 2022 Pdf In Hindi Download Jaap Sahib PDF free Download

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Jaap Sahib in Hindi

 

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥

जापु ॥ स्री मुखवाक पातिसाही १० ॥

 

छपै छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

चक्क्र चिहन अरु बरन जाति अरु पाति नहिन जिह ॥

रूप रंग अरु रेख भेख कोऊ कहि न सकति किह ॥

अचल मूरति अनभउ प्रकास अमितोजि कहिज्जै ॥

कोटि इंद्र इंद्राण साहु साहाणि गणिजै ॥

तृभवण महीप सुर नर असुर नेत नेत बन तृण कहत ॥

तव सरब नाम कथै कवन करम नाम बरनत सुमति ॥१॥

 

भुजंग प्रयात छंद ॥

 

नमसत्वं अकाले ॥ नमसत्वं कृपाले ॥

नमसतं अरूपे ॥ नमसतं अनूपे ॥२॥

 

नमसतं अभेखे ॥ नमसतं अलेखे ॥

नमसतं अकाए ॥ नमसतं अजाए ॥३॥

नमसतं अगंजे ॥ नमसतं अभंजे ॥

नमसतं अनामे ॥ नमसतं अठामे ॥४॥

 

नमसतं अकरमं ॥ नमसतं अधरमं ॥

नमसतं अनामं ॥ नमसतं अधामं ॥५॥

नमसतं अजीते ॥ नमसतं अभीते ॥

नमसतं अबाहे ॥ नमसतं अढाहे ॥६॥

 

नमसतं अनीले ॥ नमसतं अनादे ॥

नमसतं अछेदे ॥ नमसतं अगाधे ॥७॥

 

नमसतं अगंजे ॥ नमसतं अभंजे ॥

नमसतं उदारे ॥ नमसतं अपारे ॥८॥

 

नमसतं सु एकै ॥ नमसतं अनेकै ॥

नमसतं अभूते ॥ नमसतं अजूपे ॥९॥

 

नमसतं नृकरमे ॥ नमसतं नृभरमे ॥

नमसतं नृदेसे ॥ नमसतं नृभेसे ॥१०॥

 

नमसतं नृनामे ॥ नमसतं नृकामे ॥

नमसतं नृधाते ॥ नमसतं नृघाते ॥११॥

नमसतं नृधूते ॥ नमसतं अभूते ॥

नमसतं अलोके ॥ नमसतं असोके ॥१२॥

 

नमसतं नृतापे ॥ नमसतं अथापे ॥

नमसतं तृमाने ॥ नमसतं निधाने ॥१३॥

 

नमसतं अगाहे ॥ नमसतं अबाहे ॥

नमसतं तृबरगे ॥ नमसतं असरगे ॥१४॥

 

नमसतं प्रभोगे ॥ नमसतं सुजोगे ॥

नमसतं अरंगे ॥ नमसतं अभंगे ॥१५॥

 

नमसतं अगंमे ॥ नमसतसतु रंमे ॥

नमसतं जलासरे ॥ नमसतं निरासरे ॥१६॥

 

नमसतं अजाते ॥ नमसतं अपाते ॥

नमसतं अमजबे ॥ नमसतसतु अजबे ॥१७॥

 

अदेसं अदेसे ॥ नमसतं अभेसे ॥

नमसतं नृधामे ॥ नमसतं नृबामे ॥१८॥

 

नमो सरब काले ॥ नमो सरब दिआले ॥

नमो सरब रूपे ॥ नमो सरब भूपे ॥१९॥

नमो सरब खापे ॥ नमो सरब थापे ॥

नमो सरब काले ॥ नमो सरब पाले ॥२०॥

 

नमसतसतु देवै ॥ नमसतं अभेवै ॥

नमसतं अजनमे ॥ नमसतं सुबनमे ॥२१॥

 

नमो सरब गउने ॥ नमो सरब भउने ॥

नमो सरब रंगे ॥ नमो सरब भंगे ॥२२॥

 

नमो काल काले ॥ नमसतसतु दिआले ॥

नमसतं अबरने ॥ नमसतं अमरने ॥२३॥

 

नमसतं जरारं ॥ नमसतं कृतारं ॥

नमो सरब धंधे ॥ नमोसत अबंधे ॥२४॥

 

नमसतं नृसाके ॥ नमसतं नृबाके ॥

नमसतं रहीमे ॥ नमसतं करीमे ॥२५॥

 

नमसतं अनंते ॥ नमसतं महंते ॥

नमसतसतु रागे ॥ नमसतं सुहागे ॥२६॥

 

नमो सरब सोखं ॥ नमो सरब पोखं ॥

नमो सरब करता ॥ नमो सरब हरता ॥२७॥

नमो जोग जोगे ॥ नमो भोग भोगे ॥

नमो सरब दिआले ॥ नमो सरब पाले ॥२८॥

 

चाचरी छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

अरूप हैं ॥ अनूप हैं ॥ अजू हैं ॥ अभू हैं ॥२९॥

अलेख हैं ॥ अभेख हैं ॥ अनाम हैं ॥ अकाम हैं ॥३०॥

अधे हैं ॥ अभे हैं ॥ अजीत हैं ॥ अभीत हैं ॥३१॥

तृमान हैं ॥ निधान हैं ॥ तृबरग हैं ॥ असरग हैं ॥३२॥

अनील हैं ॥ अनादि हैं ॥ अजे हैं ॥ अजादि हैं ॥३३॥

अजनम हैं ॥ अबरन हैं ॥ अभूत हैं ॥ अभरन हैं ॥३४॥

अगंज हैं ॥ अभंज हैं ॥ अझूझ हैं ॥ अझंझ हैं ॥३५॥

अमीक हैं ॥ रफ़ीक हैं ॥ अधंध हैं ॥ अबंध हैं ॥३६॥

नृबूझ हैं ॥ असूझ हैं ॥ अकाल हैं ॥ अजाल हैं ॥३७॥

अलाह हैं ॥ अजाह हैं ॥ अनंत हैं ॥ महंत हैं ॥३८॥

अलीक हैं ॥ नृस्रीक हैं ॥ नृलंभ हैं ॥ असंभ हैं ॥३९॥

अगंम हैं ॥ अजंम हैं ॥ अभूत हैं ॥ अछूत हैं ॥४०॥

अलोक हैं ॥ असोक हैं ॥ अकरम हैं ॥ अभरम हैं ॥४१॥

अजीत हैं ॥ अभीत हैं ॥ अबाह हैं ॥ अगाह हैं ॥४२॥

अमान हैं ॥ निधान हैं ॥ अनेक हैं ॥ फिरि एक हैं ॥४३॥

 

 

भुजंग प्रयात छंद ॥

 

नमो सरब माने ॥ समसती निधाने ॥

नमो देव देवे ॥ अभेखी अभेवे ॥४४॥

 

नमो काल काले ॥ नमो सरब पाले ॥

नमो सरब गउणे ॥ नमो सरब भउणे ॥४५॥

 

अनंगी अनाथे ॥ नृसंगी प्रमाथे ॥

नमो भान भाने ॥ नमो मान माने ॥४६॥

 

नमो चंद्र चंद्रे ॥ नमो भान भाने ॥

नमो गीत गीते ॥ नमो तान ताने ॥४७॥

 

नमो नृत्त नृत्ते ॥ नमो नाद नादे ॥

नमो पान पाने ॥ नमो बाद बादे ॥४८॥

 

अनंगी अनामे ॥ समसती सरूपे ॥

प्रभंगी प्रमाथे ॥ समसती बिभूते ॥४९॥

 

कलंकं बिना नेकलंकी सरूपे ॥

नमो राज राजेस्वरं परम रूपे ॥५०॥

 

नमो जोग जोगेस्वरं परम सिद्धे ॥

नमो राज राजेस्वरं परम बृधे ॥५१॥

 

नमो ससत्र पाणे ॥ नमो असत्र माणे ॥

नमो परम गिआता ॥ नमो लोक माता ॥५२॥

 

अभेखी अभरमी अभोगी अभुगते ॥

नमो जोग जोगेस्वरं परम जुगते ॥५३॥

 

नमो नित्त नाराइणे क्रूर करमे ॥

नमो प्रेत अप्रेत देवे सुधरमे ॥५४॥

 

नमो रोग हरता ॥ नमो राग रूपे ॥

नमो साह साहं ॥ नमो भूप भूपे ॥५५॥

 

नमो दान दाने ॥ नमो मान माने ॥

नमो रोग रोगे ॥ नमसतं सनाने ॥५६॥

 

नमो मंत्र मंत्रं ॥ नमो जंत्र जंत्रं ॥

नमो इसट इसटे ॥ नमो तंत्र तंत्रं ॥५७॥

 

सदा सच्चदानंद सरबं प्रणासी ॥

अनूपे अरूपे समसतुल निवासी ॥५८॥

सदा सिधदा बुधदा बृध करता ॥

अधो उरध अरधं अघं ओघ हरता ॥५९॥

 

परं परम परमेस्वरं प्रोछ पालं ॥

सदा सरबदा सिद्ध दाता दिआलं ॥६०॥

 

अछेदी अभेदी अनामं अकामं ॥

समसतो पराजी समसतसतु धामं ॥६१॥

 

तेरा जोरु ॥

चाचरी छंद ॥

जले हैं ॥ थले हैं ॥ अभीत हैं ॥ अभे हैं ॥६२॥

प्रभू हैं ॥ अजू हैं ॥ अदेस हैं ॥ अभेस हैं ॥६३॥

 

भुजंग प्रयात छंद ॥

 

अगाधे अबाधे ॥ अनंदी सरूपे ॥

नमो सरब माने ॥ समसती निधाने ॥६४॥

 

नमसत्वं नृनाथे ॥ नमसत्वं प्रमाथे ॥

नमसत्वं अगंजे ॥ नमसत्वं अभंजे ॥६५॥

नमसत्वं अकाले ॥ नमसत्वं अपाले ॥

नमो सरब देसे ॥ नमो सरब भेसे ॥६६॥

 

नमो राज राजे ॥ नमो साज साजे ॥

नमो शाह शाहे ॥ नमो माह माहे ॥६७॥

 

नमो गीत गीते ॥ नमो प्रीत प्रीते ॥

नमो रोख रोखे ॥ नमो सोख सोखे ॥६८॥

 

नमो सरब रोगे ॥ नमो सरब भोगे ॥

नमो सरब जीतं ॥ नमो सरब भीतं ॥६९॥

 

नमो सरब गिआनं ॥ नमो परम तानं ॥

नमो सरब मंत्रं ॥ नमो सरब जंत्रं ॥७०॥

 

नमो सरब दृस्सं ॥ नमो सरब कृस्सं ॥

नमो सरब रंगे ॥ तृभंगी अनंगे ॥७१॥

 

नमो जीव जीवं ॥ नमो बीज बीजे ॥

अखिज्जे अभिज्जे ॥ समसतं प्रसिज्जे ॥७२॥

 

कृपालं सरूपे ॥ कुकरमं प्रणासी ॥

सदा सरबदा रिधि सिधं निवासी ॥७३॥

चरपट छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

अंमृत्त करमे ॥ अंबृत धरमे ॥

अखल्ल जोगे ॥ अचल्ल भोगे ॥७४॥

 

अचल्ल राजे ॥ अटल्ल साजे ॥

अखल्ल धरमं ॥ अलक्ख करमं ॥७५॥

 

सरबं दाता ॥ सरबं गिआता ॥

सरबं भाने ॥ सरबं माने ॥७६॥

 

सरबं प्राणं ॥ सरबं त्राणं ॥

सरबं भुगता ॥ सरबं जुगता ॥७७॥

 

सरबं देवं ॥ सरबं भेवं ॥

सरबं काले ॥ सरबं पाले ॥७८॥

 

 

रूआल छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

आदि रूप अनादि मूरति अजोनि पुरख अपार ॥

सरब मान तृमान देव अभेव आदि उदार ॥

 

सरब पालक सरब घालक सरब को पुनि काल ॥

जत्त्र तत्त्र बिराजही अवधूत रूप रिसाल ॥७९॥

 

नाम ठाम न जाति जाकर रूप रंग न रेख ॥

आदि पुरख उदार मूरति अजोनि आदि असेख ॥

देस और न भेस जाकर रूप रेख न राग ॥

जत्त्र तत्त्र दिसा विसा हुइ फैलिओ अनुराग ॥८०॥

 

नाम काम बिहीन पेखत धाम हूँ नहि जाहि ॥

सरब मान सरबत्त्र मान सदैव मानत ताहि ॥

एक मूरति अनेक दरसन कीन रूप अनेक ॥

खेल खेलि अखेल खेलन अंत को फिरि एक ॥८१॥

 

देव भेव न जानही जिह बेद अउर कतेब ॥

रूप रंग न जाति पाति सु जानई किंह जेब ॥

तात मात न जात जाकर जनम मरन बिहीन ॥

चक्क्र बक्क्र फिरै चतुर चक्क मानही पुर तीन ॥८२॥

 

लोक चउदह के बिखै जग जापही जिंह जाप ॥

आदि देव अनादि मूरति थापिओ सबै जिंह थापि ॥

परम रूप पुनीत मूरति पूरन पुरख अपार ॥

सरब बिस्व रचिओ सुयंभव गड़न भंजनहार ॥८३॥

 

काल हीन कला संजुगति अकाल पुरख अदेस ॥

धरम धाम सु भरम रहित अभूत अलख अभेस ॥

अंग राग न रंग जाकहि जाति पाति न नाम ॥

गरब गंजन दुसट भंजन मुकति दाइक काम ॥८४॥

 

आप रूप अमीक अनउसतति एक पुरख अवधूत ॥

गरब गंजन सरब भंजन आदि रूप असूत ॥

अंग हीन अभंग अनातम एक पुरख अपार ॥

सरब लाइक सरब घाइक सरब को प्रतिपार ॥८५॥

 

सरब गंता सरब हंता सरब ते अनभेख ॥

सरब सासत्र न जानही जिंह रूप रंगु अरु रेख ॥

परम बेद पुराण जाकहि नेति भाखत नित्त ॥

कोटि सिंमृत पुरान सासत्र न आवई वहु चित्त ॥८६॥

 

 

मधुभार छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

गुन गन उदार ॥ महिमा अपार ॥

आसन अभंग ॥ उपमा अनंग ॥८७॥

 

अनभउ प्रकास ॥ निस दिन अनास ॥

आजान बाहु ॥ साहान साहु ॥८८॥

राजान राज ॥ भानान भान ॥

देवान देव ॥ उपमा महान ॥८९॥

 

इंद्रान इंद्र ॥ बालान बाल ॥

रंकान रंक ॥ कालान काल ॥९०॥

 

अनभूत अंग ॥ आभा अभंग ॥

गति मिति अपार ॥ गुन गन उदार ॥९१॥

 

मुनि गन प्रनाम ॥ निरभै नृकाम ॥

अति दुति प्रचंड ॥ मिति गति अखंड ॥९२॥

 

आलिस्य करम ॥ आदृस्य धरम ॥

सरबा भरणाढ्य ॥ अनडंड बाढ्य ॥९३॥

 

 

चाचरी छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

गुबिंदे ॥ मुकंदे ॥ उदारे ॥ अपारे ॥९४॥

हरीअं ॥ करीअं ॥ नृनामे ॥ अकामे ॥९५॥

 

 

भुजंग प्रयात छंद ॥

 

चत्त्रु चक्क्र करता ॥ चत्त्रु चक्क्र हरता ॥

चत्त्रु चक्क्र दाने ॥ चत्त्रु चक्क्र जाने ॥९६॥

 

चत्तु्र चक्क्र वरती ॥ चत्तु्र चक्क्र भरती ॥

चत्तु्र चक्क्र पाले ॥ चत्तु्र चक्क्र काले ॥९७॥

 

चत्तु्र चक्क्र पासे ॥ चत्तु्र चक्क्र वासे ॥

चत्तु्र चक्क्र मान्यै ॥ चत्त्रु चक्क्र दान्यै ॥९८॥

 

चाचरी छंद ॥

 

न सत्त्रै ॥ न मित्त्रै ॥ न भरमं ॥ न भित्त्रै ॥९९॥

 

न करमं ॥ न काए ॥ अजनमं ॥ अजाए ॥१००॥

 

न चित्त्रै ॥ न मित्त्रै ॥ परे हैं ॥ पवित्त्रै ॥१०१॥

 

पृथीसै ॥ अदीसै ॥ अदृसै ॥ अकृसै ॥१०२॥

 

 

भगवती छंद ॥ त्व प्रसादि कथते ॥

 

कि आछिज्ज देसै ॥ कि आभिज्ज भेसै ॥

कि आगंज करमै ॥ कि आभंज भरमै ॥१०३॥

 

कि आभिज लोकै ॥ कि आदित सोकै ॥

कि अवधूत बरनै ॥ कि बिभूत करनै ॥१०४॥

 

कि राजं प्रभा हैं ॥ कि धरमं धुजा हैं ॥

कि आसोक बरनै ॥ कि सरबा अभरनै ॥१०५॥

 

कि जगतं कृती हैं ॥ कि छत्रं छत्री हैं ॥

कि ब्रहमं सरूपै ॥ कि अनभउ अनूपै ॥१०६॥

 

कि आदि अदेव हैं ॥ कि आपि अभेव हैं ॥

कि चित्त्रं बिहीनै ॥ कि एकै अधीनै ॥१०७॥

 

कि रोज़ी रज़ाकै ॥ रहीमै रिहाकै ॥

कि पाक बिऐब हैं ॥ कि गैबुल ग़ैब हैं ॥१०८॥

 

कि अफवुल गुनाह हैं ॥ कि शाहान शाह हैं ॥

कि कारन कुनिंद हैं ॥ कि रोज़ी दिहंद हैं ॥१०९॥

 

कि राज़क रहीम हैं ॥ कि करमं करीम हैं ॥

कि सरबं कली हैं ॥ कि सरबं दली हैं ॥११०॥

 

कि सरबत्त्र मानियै ॥ कि सरबत्त्र दानियै ॥

कि सरबत्त्र गउनै ॥ कि सरबत्त्र भउनै ॥१११॥

 

कि सरबत्त्र देसै ॥ कि सरबत्त्र भेसै ॥

कि सरबत्त्र राजै ॥ कि सरबत्त्र साजै ॥११२॥

 

कि सरबत्त्र दीनै ॥ कि सरबत्त्र लीनै ॥

कि सरबत्त्र जाहो ॥ कि सरबत्त्र भाहो ॥११३॥

 

कि सरबत्त्र देसै ॥ कि सरबत्त्र भेसै ॥

कि सरबत्त्र कालै ॥ कि सरबत्त्र पालै ॥११४॥

 

कि सरबत्त्र हंता ॥ कि सरबत्त्र गंता ॥

कि सरबत्त्र भेखी ॥ कि सरबत्त्र पेखी ॥११५॥

 

कि सरबत्त्र काजै ॥ कि सरबत्त्र राजै ॥

कि सरबत्त्र सोखै ॥ कि सरबत्त्र पोखै ॥११६॥

 

कि सरबत्त्र त्राणै ॥ कि सरबत्त्र प्राणै ॥

कि सरबत्त्र देसै ॥ कि सरबत्त्र भेसै ॥११७॥

कि सरबत्त्र मानियैं ॥ सदैवं प्रधानियैं ॥

कि सरबत्त्र जापियै ॥ कि सरबत्त्र थापियै ॥११८॥

 

कि सरबत्त्र भानै ॥ कि सरबत्त्र मानै ॥

कि सरबत्त्र इंद्रै ॥ कि सरबत्त्र चंद्रै ॥११९॥

 

कि सरबं कलीमै ॥ कि परमं फ़हीमै ॥

कि आकल अलामै ॥ कि साहिब कलामै ॥१२०॥

 

कि हुसनल वजू हैं ॥ तमामुल रुजू हैं ॥

हमेसुल सलामैं ॥ सलीखत मुदामैं ॥१२१॥

 

ग़नीमुल शिकसतै ॥ ग़रीबुल परसतै ॥

बिलंदुल मकानैं ॥ ज़मीनल ज़मानैं ॥१२२॥

 

तमीज़ुल तमामैं ॥ रुजूअल निधानैं ॥

हरीफुल अजीमैं ॥ रज़ाइक यकीनैं ॥१२३॥

 

अनेकुल तरंग हैं ॥ अभेद हैं अभंग हैं ॥

अज़ीज़ुल निवाज़ हैं ॥ ग़नीमुल ख़िराज हैं ॥१२४॥

 

निरुकत सरूप हैं ॥ तृमुकति बिभूति हैं ॥

प्रभुगति प्रभा हैं ॥ सु जुगति सुधा हैं ॥१२५॥

सदैवं सरूप हैं ॥ अभेदी अनूप हैं ॥

समसतोपराज हैं ॥ सदा सरब साज हैं ॥१२६॥

 

समसतुल सलाम हैं ॥ सदैवल अकाम हैं ॥

नृबाध सरूप हैं ॥ अगाध हैं अनूप हैं ॥१२७॥

 

ओअं आदि रूपे ॥ अनादि सरूपे ॥

अनंगी अनामे ॥ तृभंगी तृकामे ॥१२८॥

 

तृबरगं तृबाधे ॥ अगंजे अगाधे ॥

सुभं सरब भागे ॥ सु सरबा अनुरागे ॥१२९॥

 

तृभुगत सरूप हैं ॥ अछिज्ज हैं अछूत हैं ॥

कि नरकं प्रणास हैं ॥ पृथीउल प्रवास हैं ॥१३०॥

 

निरुकति प्रभा हैं ॥ सदैवं सदा हैं ॥

बिभुगति सरूप हैं ॥ प्रजुगति अनूप हैं ॥१३१॥

 

निरुकति सदा हैं ॥ बिभुगति प्रभा हैं ॥

अनउकति सरूप हैं ॥ प्रजुगति अनूप हैं ॥१३२॥

 

 

चाचरी छंद ॥

 

अभंग हैं ॥ अनंग हैं ॥ अभेख हैं ॥ अलेख हैं ॥१३३॥

अभरम हैं ॥ अकरम हैं ॥ अनादि हैं ॥ जुगादि हैं ॥१३४॥

अजै हैं ॥ अबै हैं ॥ अभूत हैं ॥ अधूत हैं ॥१३५॥

 

अनास हैं ॥ उदास हैं ॥ अधंध हैं ॥ अबंध हैं ॥१३६॥

अभगत हैं ॥ बिरकत हैं ॥ अनास हैं ॥ प्रकास हैं ॥१३७॥

निचिंत हैं ॥ सुनिंत हैं ॥ अलिक्ख हैं ॥ अदिक्ख हैं ॥१३८॥

 

अलेख हैं ॥ अभेख हैं ॥ अढाह हैं ॥ अगाह हैं ॥१३९॥

असंभ हैं ॥ अगंभ हैं ॥ अनील हैं ॥ अनादि हैं ॥१४०॥

अनित्त हैं ॥ सु नित्त हैं ॥ अजात हैं ॥ अजादि हैं ॥१४१॥

 

 

चरपट छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

सरबं हंता ॥ सरबं गंता ॥

सरबं खिआता ॥ सरबं गिआता ॥१४२॥

 

सरबं हरता ॥ सरबं करता ॥

सरबं प्राणं ॥ सरबं त्राणं ॥१४३॥

 

सरबं करमं ॥ सरबं धरमं ॥

सरबं जुगता ॥ सरबं मुकता ॥१४४॥

 

 

रसावल छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

नमो नरक नासे ॥ सदैवं प्रकासे ॥

अनंगं सरूपे ॥ अभंगं बिभूते ॥१४५॥

 

प्रमाथं प्रमाथे ॥ सदा सरब साथे ॥

अगाध सरूपे ॥ नृबाध बिभूते ॥१४६॥

 

अनंगी अनामे ॥ तृभंगी तृकामे ॥

नृभंगी सरूपे ॥ सरबंगी अनूपे ॥१४७॥

 

न पोत्रै न पुत्रै ॥ न सत्त्रै न मित्रै ॥

न तातै न मातै ॥ न जातै न पातै ॥१४८॥

 

नृसाकं सरीक हैं ॥ अमितो अमीक हैं ॥

सदैवं प्रभा हैं ॥ अजै हैं अजा हैं ॥१४९॥

 

 

भगवती छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

कि ज़ाहर ज़हूर हैं ॥ कि हाज़र हज़ूर हैं ॥

हमेसुल सलाम हैं ॥ समसतुल कलाम हैं ॥१५०॥

 

कि साहिब दिमाग़ हैं ॥ कि हुसनल चराग़ हैं ॥

कि कामल करीम हैं ॥ कि राज़क रहीम हैं ॥१५१॥

 

कि रोज़ी दिहिंद हैं ॥ कि राज़क रहिंद हैं ॥

करीमुल कमाल हैं ॥ कि हुसनल जमाल हैं ॥१५२॥

 

ग़नीमुल ख़िराज हैं ॥ ग़रीबुल निवाज़ हैं ॥

हरीफ़ुल शिकंन हैं ॥ हिरासुल फिकंन हैं ॥१५३॥

 

कलंकं प्रणास हैं ॥ समसतुल निवास हैं ॥

अगंजुल गनीम हैं ॥ रजाइक रहीम हैं ॥१५४॥

 

समसतुल जुबाँ हैं ॥ कि साहिब किराँ हैं ॥

कि नरकं प्रणास हैं ॥ बहिसतुल निवास हैं ॥१५५॥

 

कि सरबुल गवंन हैं ॥ हमेसुल रवंन हैं ॥

तमामुल तमीज हैं ॥ समसतुल अजीज हैं ॥१५६॥

 

परं परम ईस हैं ॥ समसतुल अदीस हैं ॥

अदेसुल अलेख हैं ॥ हमेसुल अभेख हैं ॥१५७॥

 

ज़मीनुल ज़मा हैं ॥ अमीकुल इमा हैं ॥

करीमुल कमाल हैं ॥ कि जुरअति जमाल हैं ॥१५८॥

 

कि अचलं प्रकास हैं ॥ कि अमितो सुबास हैं ॥

कि अजब सरूप हैं ॥ कि अमितो बिभूत हैं ॥१५९॥

 

कि अमितो पसा हैं ॥ कि आतम प्रभा हैं ॥

कि अचलं अनंग हैं ॥ कि अमितो अभंग हैं ॥१६०॥

 

मधुभार छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

मुनि मनि प्रनाम ॥ गुनि गन मुदाम ॥

अरि बर अगंज ॥ हरि नर प्रभंज ॥१६१॥

 

अनगन प्रनाम ॥ मुनि मनि सलाम ॥

हरि नर अखंड ॥ बर नर अमंड ॥१६२॥

 

अनभव अनास ॥ मुनि मनि प्रकास ॥

गुनि गन प्रनाम ॥ जल थल मुदाम ॥१६३॥

अनछिज्ज अंग ॥ आसन अभंग ॥

उपमा अपार ॥ गति मिति उदार ॥१६४॥

 

जल थल अमंड ॥ दिस विस अभंड ॥

जल थल महंत ॥ दिस विस बिअंत ॥१६५॥

 

अनभव अनास ॥ धृत धर धुरास ॥

आजान बाहु ॥ एकै सदाहु ॥१६६॥

 

ओअंकार आदि ॥ कथनी अनादि ॥

खल खंड खिआल ॥ गुर बर अकाल ॥१६७॥

 

घर घरि प्रनाम ॥ चित चरन नाम ॥

अनछिज्ज गात ॥ आजिज न बात ॥१६८॥

 

अनझंझ गात ॥ अनरंज बात ॥

अनटुट भंडार ॥ अनठट अपार ॥१६९॥

 

आडीठ धरम ॥ अति ढीठ करम ॥

अणब्रण अनंत ॥ दाता महंत ॥१७०॥

 

 

 

हरिबोलमना छंद ॥ त्व प्रसादि ॥

 

करुणालय हैं ॥ अरि घालय हैं ॥

खल खंडन हैं ॥ महि मंडन हैं ॥१७१॥

 

जगतेस्वर हैं ॥ परमेस्वर हैं ॥

कलि कारण हैं ॥ सरब उबारण हैं ॥१७२॥

 

धृत के ध्रण हैं ॥ जग के क्रण हैं ॥

मन मानिय हैं ॥ जग जानिय हैं ॥१७३॥

 

सरबं भर हैं ॥ सरबं कर हैं ॥

सरब पासिय हैं ॥ सरब नासिय हैं ॥१७४॥

 

करुणाकर हैं ॥ बिस्वंभर हैं ॥

सरबेस्वर हैं ॥ जगतेस्वर हैं ॥१७५॥

 

ब्रहमंडस हैं ॥ खल खंडस हैं ॥

पर ते पर हैं ॥ करुणाकर हैं ॥१७६॥

 

अजपा जप हैं ॥ अथपा थप हैं ॥

अकृता कृत हैं ॥ अंमृता मृत हैं ॥१७७॥

 

अमृता मृत हैं ॥ करणा कृत हैं ॥

अकृता कृत हैं ॥ धरणी धृत हैं ॥१७८॥

 

अमितेस्वर हैं ॥ परमेस्वर हैं ॥

अकृता कृत हैं ॥ अमृता मृत हैं॥१७९॥

 

अजबा कृत हैं ॥ अमृता अमृत हैं ॥

नर नाइक हैं ॥ खल घाइक हैं ॥१८०॥

 

बिस्वंभर हैं ॥ करुणालय हैं ॥

नृप नाइक हैं ॥ सरब पाइक हैं ॥१८१॥

 

भव भंजन हैं ॥ अरि गंजन हैं ॥

रिपु तापन हैं ॥ जपु जापन हैं ॥१८२॥

 

अकलं कृत हैं ॥ सरबा कृत हैं ॥

करता कर हैं ॥ हरता हरि हैं ॥१८३॥

 

परमातम हैं ॥ सरबातम हैं ॥

आतम बस हैं ॥ जस के जस हैं ॥१८४॥

 

 

 

भुजंग प्रयात छंद ॥

 

नमो सूरज सूरजे नमो चंद्र चंद्रे ॥

नमो राज राजे नमो इंद्र इंद्रे ॥

नमो अंधकारे नमो तेज तेजे ॥

नमो बृंद बृंदे नमो बीज बीजे ॥१८५॥

 

नमो राजसं तामसं साँत रूपे ॥

नमो परम तत्तं अतत्तं सरूपे ॥

नमो जोग जोगे नमो गिआन गिआने ॥

नमो मंत्र मंत्रे नमो धिआन धिआने ॥१८६॥

 

नमो जुध जुधे नमो गिआन गिआने ॥

नमो भोज भोजे नमो पान पाने ॥

नमो कलह करता नमो साँत रूपे ॥

नमो इंद्र इंद्रे अनादं बिभूते ॥१८७॥

 

कलंकार रूपे अलंकार अलंके ॥

नमो आस आसे नमो बाँक बंके ॥

अभंगी सरूपे अनंगी अनामे ॥

तृभंगी तृकाले अनंगी अकामे ॥१८८॥

 

 

एक अछरी छंद ॥

 

अजै ॥ अलै ॥ अभै ॥ अबै ॥१८९॥

अभू ॥ अजू ॥ अनास ॥ अकास ॥१९०॥

अगंज ॥ अभंज ॥ अलक्ख ॥ अभक्ख ॥१९१॥

अकाल ॥ दिआल ॥ अलेख ॥ अभेख ॥१९२॥

अनाम ॥ अकाम ॥ अगाह ॥ अढाह ॥१९३॥

अनाथे ॥ प्रमाथे ॥ अजोनी ॥ अमोनी ॥१९४॥

न रागे ॥ न रंगे ॥ न रूपे ॥ न रेखे ॥१९५॥

अकरमं ॥ अभरमं ॥ अगंजे ॥ अलेखे ॥१९६॥

 

 

भुजंग प्रयात छंद ॥

 

नमसतुल प्रनामे समसतुल प्रणासे ॥

अगंजुल अनामे समसतुल निवासे ॥

नृकामं बिभूते समसतुल सरूपे ॥

कुकरमं प्रणासी सुधरमं बिभूते ॥१९७॥

 

सदा सच्चिदानंद सत्त्रं प्रणासी ॥

करीमुल कुनिंदा समसतुल निवासी ॥

अजाइब बिभूते गजाइब गनीमे ॥

हरीअं करीअं करीमलु रहीमे ॥१९८॥

 

चत्त्र चक्क्र वरती चत्त्र चक्क्र भुगते ॥

सुयंभव सुभं सरबदा सरब जुगते ॥

दुकालं प्रणासी दिआलं सरूपे ॥

सदा अंग संगे अभंगं बिभूते ॥१९९॥

 

भाषा भेद के कारण (Jaapji Sahib in Hindi) का 100 प्रतिशत शुद्ध उच्चारण तो नहीं किया जा सकता, लेकिन यदि आप जपजी साहिब पाठ की विडिओ के साथ जपजी साहिब पढ़ेंगे तो अवश्य ही छोटी-छोटी कमियाँ जो रह गई हैं, उनसे भी परिचित हो जाएंगे।

 

वाहेगुरु जी का खालसा,

वाहेगुरु जी की फ़तह

 

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