64 Yogini Shabar Mantra PDF in Hindi 64 Yogini Shabar Mantra Hindi PDF 64 योगिनी शाबर मंत्र उच्चारण योगिनी शाबर मंत्र अर्थ सहित इन हिंदी PDF Download 2024

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चौंसठ योगिनी तंत्र साधना

64 YOGINI MANTRA चौंसठ योगिनी तंत्र साधना

तंत्र में सदा से योगिनीयों का अत्यंत महत्व रहा है। तंत्र अनुसार योगिनी आद्य शक्ति के सबसे निकट होती है। माँ योगिनियों को आदेश देती है और यही योगिनी शक्ति साधकों के कार्य सिद्ध करती है। मात्र लोक में यही योगिनिया हैं जो माँ की नित्य सेवा करती हैं। योगिनी साधना से कई प्रकार कि सिद्धियाँ साधक को प्राप्त होती हैं। प्राचीन काल में जब तंत्र अपने चरम पर था तब योगिनी साधना अधिक की जाती थी।

 

साधना के लाभ:-

किसी भी प्रकार का मनोकामना पूर्ण करने हेतु इससे तिष्ण साधना दूसरा कोई नहीं हो सकती है, यह विधान कलियुग में शीघ्र फलप्रद है। जिनका विवाह ना हो रहा हो, जिनको नौकरी नहीं मिल रहा हो, जिनको व्यापार में उन्नति नहीं मिल रहा हो, जिनका आर्थिक जीवन खराब हो, जिनको प्रेम में असफलता मिल रही हो, जिनको साधना में बार-बार असफलता मिल रही हो, जिनको परीक्षा में असफलता मिल रही हो, जिनकी स्मरणशक्ति कमजोर हो, जिनका स्वास्थ्य खराब हो, जिनके घर में कुछ किया कराया हो, जिनके वास्तु में दोष हो, जिनके पित्रु अप्रसन्न हो, जिनको कालसर्प दोष के कारण जीवन में असफलता मिल रहा हो, तो येसे व्यक्तियों के लिये ” यह दुर्लभ साधना करना अत्यंत जरुरी है”, इससे सभी प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

 

इस साधना को महाशिवरात्रि के पर्व पर करने से सभी साधनाओ में सफलता प्राप्त किया जा सकता है। किसी भी शाबर मंत्र जाप से पहिले यह विधान अवश्य करें तो मंत्र सिद्धि का अवसर द्विगुणित होता है।

चौंसठ योगिनियों में प्रमुख है ये 8 योगिनियां

  1. सुरसुन्दरी योगिनी मंत्र साधना,
  2. मनोहरा योगिनी साधना,
  3. कनकवती योगिनी साधना,
  4. कामेंश्वरी योगिनी साधना,
  5. रति सुन्दरी योगिनी साधना,
  6. पद्मिनी योगिनी साधना,
  7. नटिनी योगिनी साधना और
  8. मधुमती योगिनी साधना।
  9. योगिनी तंत्र साधना

 

साधना विधि-विधान:-

इस साधना को सोमवार रात्रि में या अमावस्या/पुर्णिमा के रात्रि में सम्पन्न करें। साधना के शुरुआत में गणेश मंत्र और गुरुमंत्र का जाप भी करले, अगर अब किसी पात्र में शिवलिंग रखे और शिवलिंग का सामान्य पुजन करें, जल भी चढाये । एक सफेद रंग का पुष्प अपना मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर अर्पित करें। 64 योगिनी मंत्र को एक-एक बार पढना जरुरी है परंतु आप में पात्रता हो तो 1, 3, 5, 7, 11…। । 108 की संख्या में आप ज्यादा मंत्र का उच्चारण कर सकते है। यह तांत्रोत्क बीज मंत्रो से युक्त योगिनी मंत्र है, जिसकी अधिष्ठात्री देवि ललिताम्बा है, जो साधक का कोइ भी इच्छा पुर्ण कर सकती है।

 

योगिनी मंत्र जाप से पुर्व और अंत में

“ॐ नमः शिवाय” का जाप भी करना जरुरी है। आगे योगिनी मंत्रो को बोलते हुए किसी भी प्रकार के शिवलिंग पर अष्टगंध युक्त चावल चढाये-

64 योगिनियों की साधना सोमवार या अमावस्या या पूर्णिमा की रात्रि से आरंभ की जाती है। साधना आरंभ करने से पहले मंत्र सिद्ध माला व यंत्र गुटका लेकर साधना शुरू करें। स्नान-ध्यान आदि से निवृत होकर अपने पितृगण, इष्टदेव तथा गुरु का आशीर्वाद लें। इसके बाद

 

गणेश मंत्र 2 माला –

 

ओम गं गणपत्ये नमः

तथा गुरु मंत्र 2 माला

 

ओम ह्रीं गुरूवे नमः

शिव मंत्र 5 माला

 

ऊँ नम: शिवाय का जप किया जाता है ताकि साधना में किसी भी प्रकार का विघ्न न आएं। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करते हुए शिवलिंग पर जल तथा अष्टगंध युक्त चावल अर्पित करें। इसके बाद आपकी पूजा आरंभ होती है। अंत में जिस योगिनी को आपको सिद्ध करना हैं उसके मंत्र की कम से कम एक माला अथवा ग्यारह माला का जाप करें।

 

जिन नामों का अस्तित्व मिलता है वे इस प्रकार हैं :-

१. बहुरूपा २. तारा ३. नर्मदा ४. यमुना ५. शांति
६. वारुणी ७. क्षेमकरी ८. ऐन्द्री ९. वाराही १०. रणवीरा
११. वानरमुखी १२. वैष्णवी १३. कालरात्रि १४. वैद्यरूपा १५. चर्चिका
१६. बेताली १७. छिनमास्तिका १८. वृषभानना १९. ज्वाला कामिनी २०. घटवारा
२१. करकाली २२. सरस्वती २३. बिरूपा २४. कौबेरी २५. भालुका
२६. नारसिंही २७. बिराजा २८. विकटानन २९. महालक्ष्मी ३०. कौमारी
३१. महामाया ३२. रति ३३. करकरी ३४. सर्पश्या ३५. यक्षिणी
३६. विनायकी ३७. विन्द्यावालिनी ३८. वीरकुमारी ३९. माहेश्वरी ४०. अम्बिका
४१. कामायनी ४२. घटाबारी ४३. स्तुति ४४. काली ४५. उमा
४६. नारायणी ४७. समुद्रा ४८. ब्राह्मी ४९. ज्वालामुखी ५०. आग्नेयी
५१. अदिति ५२. चन्द्रकांति ५३. वायुबेगा ५४. चामुंडा ५५. मूर्ति
५६. गंगा ५७. धूमावती ५८. गांधारी ५९. सर्व मंगला ६०. अजिता
६१. सूर्य पुत्री ६२. वायु वीणा ६३. अघोरा ६४. भद्रकाली .

 

64 योगिनियों के मंत्र के लिये मंत्र सिद्ध माला यंत्र लेकर कोई भी मंत्र साधना करें मंत्र इस प्रकार हैं–

(1)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा।

(2)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा।

(3)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा।

(4)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा।

(5)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री विरोधिनी विलासिनी स्वाहा।

(6)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा।

(7)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा।

(8)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा।

(9)   ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा।

(10) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा।

(11) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री घना महा जगदम्बा स्वाहा।

(12) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री बलाका काम सेविता स्वाहा।

(13) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा।

(14) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा।

(15) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा।

(16) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा।

(17) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री कामेंश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा।

(18) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री भगमालिनी तारिणी स्वाहा।

(19) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा।

(20) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा।

(21) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा।

(22) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा।

(23) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा।

(24) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा।

(25) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा।

(26) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा।

(27) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा।

(28) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री विजया देवी वसुदा स्वाहा।

(29) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा।

(30) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा।

(31) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा।

(32) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा।

(33) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री डाकिनी मदसालिनी स्वाहा।

(34) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री राकिनी पापराशिनी स्वाहा।

(35) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा।

(36) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा।

(37) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा।

(38) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा।

(39) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री तारा योंग रक्ता पूर्णा स्वाहा।

(40) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री षोडशी लतिका देवी स्वाहा।

(41) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा।

(42) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योंनिवेगा स्वाहा।

(43) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा।

(44) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा।

(45) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा।

(46) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातंगी कांटा युवती स्वाहा।

(47) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा।

(48) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा।

(49) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा।

(50) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री मोहिनी माता योगिनी स्वाहा।

(51) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा।

(52) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा।

(53) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री नारसिंही वामदेवी स्वाहा।

(54) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री गंगा योंनि स्वरूपिणी स्वाहा।

(55) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा।

(56) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा।

(57) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा।

(58) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा।

(59) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा।

(60) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा।

(61) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा।

(62) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा।

(63) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री लक्ष्मी मनोरमायोंनि स्वाहा।

(64) ॐ   ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा।

 

विधिवत मंत्र जाप पूर्ण करने के बाद भगवान शिव की आरती करें तथा साधना समाप्त होने के बाद शिवलिंग पर चढ़ाये गए चावल अलग से रख लें तथा अगले दिन बहते जल या नदी में प्रवाहित कर दें।

 

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