बहुत छाले हैं उसके पैरों में, कमबख्त उसूलों पर चला होगा।
Bahut Chhale Hain Uske Pairon Mein,
Kambakht Usool On Per Chalna Hoga.
सुनो…
जब कभी देख लूँ तुमको, तो मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है।
Suno…
Jab Kabhi Dekh Lun Tumko, To Mujhe Mahsus Hota Hai Ki
Duniya Khubsurat Hai.
मैं दिया हूँ, मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।
Mai Diya Hun, Meri Dushmani To Sirf Andhere Se Hai,
Hawa To Bewajah Hi Mere Khilaf Hai.
बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायतें जो बयाँ नहीं होती।
Bahut Andar Tak Jala Deti Hai,
Vo Shikayate Jo Bayaan Nahin Hoti.
एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद,
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी है।
Ek Sapne Ke Tutkar Chaknachoor Ho Jane Ke Bad,
Dusra Sapna Dekhne Ke Hosle Ka Naam Jindagi Hai.
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गई, जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।
Taklif Khud Ki Kam Ho Gai, Jab Apno Se Ummid Kam Ho Gai.
घर में अपनों से उतना ही रूठो, कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके।
Ghar Mein Apnon Se Utna Hi Rutho, Ki Aapki Baat Aur Dusron Ki Ijjat,
Dono Barkrar Rah Sake.
लोग कहते हैं कि, खुश रहो, मगर मजाल है कि रहने दें।
Log Kehte Hain Ki, Khush Raho, Magar Majal Hai Ki Rahane De.
देर से गूँजते हैं सन्नाटे, जैसे हमको पुकारता है कोई,
कल का हर वाक़िया था तुम्हारा, आज की दास्ताँ है हमारी।
Der Se Gunjte Hain Sannate Jaise Humko Pukarta Hai Koi,
Kal Ka Har Waqia Tha Tumhara Aaj Ki Dastan Hai Hamari.
अपने साए से चौंक जाते हैं, उम्र गुजरी है इस क़दर तनहा।
Apne Saaye Se Chaunk Jaate Hain, Umra Gujari Hai Is Kadar Tanha.
मिलता तो बहुत कुछ है ज़िन्दगी में.
बस हम गिनती उन्हीं की करते हैं जो हासिल न हो सका।
Milta To Bahut Kuch Hai Zindagi Mein,
Bss Ham Ginti UNahin Ki Karte Hain Jo Hasil Na Ho Saka.
सहम सी गई है ख्वाइशें, ज़रूरतों ने शायद उन से,
ऊँची आवाज़ में बात की होगी।
Saham Si Gayi Hai Khwahishein, Jarurato Ne Shayad Unse,
Unchi Awaz Mein Baat Ki Hogi.
गुलाम थे तो हम सब हिंदुस्तानी थे,
आज़ादी ने हमें हिन्दू मुसलमान बना दिया।
Gulam The To Hum Sab Hindustani The,
Azadi Ne Hamen Hindu Musalman Bana Diya.
● गुलज़ार के अनमोल विचार
गए थे सोचकर की बात बचपन की होगी,
मगर दोस्त मुझे अपनी तरक्की सुनाने लगे।
Gaye The Soch Kar Ki Baat Bachpan Ki Hogi,
Magar Dost Mujhe Apni Tarakki Sunane Lage.
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते हैं,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों 1000 से होती है।
Dil Ke Rishte Hamesha Kismat Se Hi Nahin Bante Hain,
Varna Mulakat To Roj Hajaro 1000 Se Hoti Hai.
वह जो सूरत पर सबकी हँसते हैं, उनको तोहफे में एक आईना दीजिए।
Vah Jo Surat Per Sabki Hanste Hain, Unko Tohfe Me Ek Aaina Dijiye.
बहुत मुश्किल से करता हूँ तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम है पर गुज़ारा हो ही जाता है।
Bahut Mushkil Se Karta Hun,
Teri Yadon Ka Karobar Munafa Kam Hai,
Per Gujara Ho Hi Jata Hai.
यूँ तो ऐ जिंदगी तेरे सफर से शिकायतें बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज करने पहुँचे तो कतारें बहुत थी।
Yun To Ye Zindagi Tere Safar Se Shikayat Bahut Thi,
Magar Dard Jab Darj Karne Pahunche To Katare Bahut Thi.
खुद की कीमत गिर जाती है किसी को कीमती बनाने की चाह में।
Khud Ki Kimat Gir Jati Hai Kisi Ko Kimti Bnane Ki Chah Me.
● ग़ालिब की शायरी pdf
बदल दिए हैं अब हमने नाराज होने के तरीके,
रूठने के बजाए बस हल्के से मुस्कुरा देते हैं।
Badal Diye Hai Ab Humne Naraj Hone Ke Tarike,
Ruthne Ke Bjay Bas Halke Se Muskura Dete Hai.
कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते,
एक बार खैरियत पूछ कर तो देखो।
Kon Kehta Hai Hum Jhut Nahin Bolte,
Ek Bar Kheriyat Puch Kar To Dekho.
जिंदगी ए तेरी खरोंचे हैं मुझ पर या,
फिर तू मुझे तराशने की कोशिश में है।
Jindgi Ye Teri Khroenche Hai Mujh Par ya,
Fir Tu Mujhe Tarashne Ki Koshish Me Hai.
तस्वीरें लेना भी जरूरी है जिंदगी में साहब,
आईने गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते।
Tasviren Lena Bhi Jaruri Hai Jindgi Me Sahab,
Aaine Gujra Hua Vakt Nahin Btaya Karte.
एक ना एक दिन हासिल कर ही लूँगा मंजिल,
ठोकरें ज़हर तो नहीं जो खा कर मर जाऊँगा।
Ek Na Ek Din Hasil Kar Hi Lunga Manjil,
Thokare Zahar To Nahi Jo Kha Kar Mar Jaunga.
अनमोल विचार गुलज़ार साहब के…
खुदकुशी हराम है साहब,
मेरी मानो तो इश्क़ कर लो।
सलीका अदब का तो बरकरार रखिए जनाब,
रंजिशें अपनी जगह हैं सलाम अपनी जगह।
इतने बेवफा नहीं है कि तुम्हें भूल जाएँगे,
अक्सर चुप रहने वाले प्यार बहुत करते हैं।
तुम्हारा साथ तसल्ली से चाहिए मुझे,
जन्मों की थकान लम्हों में कहाँ उतरती है।
मेरी किस्मत में नहीं था तमाशा करना,
बहुत कुछ जानते थे मगर ख़ामोश रहे।
मुहब्बत लिबास नहीं जो हर रोज बदल जाए
मोहब्बत कफन है जो पहन कर उतारा नहीं जाता।
इतनी सी ज़िन्दगी है पर ख्वाब बहुत हैं,
जुर्म तो पता नहीं साहब पर इल्जाम बहुत हैं।
नहीं करता मैं तेरी ज़िक्र किसी तीसरे से,
तेरे बारे में बात सिर्फ़ ख़ुदा से होती है ।
जो चाहे हो जाए वह दर्द कैसा और,
जो दर्द को महसूस ना कर सके वो हमदर्द कैसा।
60. उसने एक ही बार कहा दोस्त हूँ,
फिर मैंने कभी नहीं कहा व्यस्त हूँ।
जीवन पर गुलज़ार की शायरियाँ…
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है।
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
बेहिसाब हसरतें ना पालिए, जो मिला है उसे सम्भालिए।
रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो, दिन की चादर अभी उतारी है।
रोई है किसी छत पे, अकेले में ही घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं,
तेरे बिना पर ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं।
उम्र जाया कर दी लोगों ने औरों में नुक्स निकालते-निकालते,
इतना खुद को तराशा होता तो फरिश्ते बन जाते।
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता,
हूँ मगर रोज़ सुबह ए मुझसे पहले जाग जाती है।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इसकी भी आदमी सी है।
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियाँ समझ में आईं पाँव जलने लगे हैं।
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
उसने कागज की कई कश्तियाँ पानी में उतरीं और,
यह कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गई, जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है, मैंने हर करवट सोने की कोशिश की।
हाथ छूटेछुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोड़ा करते।
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा है,
बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा है।
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था, आज की हर दास्ताँ हमारी है।
एक सौ सोलह चाँद की रातें, एक तुम्हारे कंधे का तिल।
गीली मेहँदी की खुश्बू झूठ मूठ के वादे,
सब याद करादो, सब भिजवा दो,
मेरा वो सामान लौटा दो।
मैंने मौत को देखा तो नहीं, पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी।
कमबख्त जो भी उससे मिलता है, जीना ही छोड़ देता है।
लकीरें हैं तो रहने दो,
किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी,
उन्हीं को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं।
“एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।”
ज़रा ए धूप ढल जाए, तो हाल पूछेंगे,
यहाँ कुछ साए, खुद को खुदा बताते हैं।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आयी थी और चाँद भी था,
हाँ मगर नींद नहीं।
सहमा-सहमा डरा सा रहता है जाने क्यों जी भरा सा रहता है।
चाँदी उगने लगी है बालों में, के उम्र तुम पर हसीन लगती है।
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोड़ा करते।
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दायरे हैं,
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं।
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, एक पुराना ख़त खोला अनजाने में।
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो?
एक ख़ामोश-सा जवाब तो है।
गुलज़ार के महत्वपूर्ण विचार
और खामोश हो जाऊँ माना कि मौसम भी बदलते हैं,
मगर धीरे-धीरे तेरे बदलने की रफ्तार से हवाएं भी हैरान हैं।
ज़िन्दगी सूखी हुई नहीं बस थोड़ी सी प्यासी है,
इसमें रस लाना है तो दरियादिल बन कर तो देखो।
ज़िन्दगी का हर पल कुछ ऐसा रहे कि मर कर भी अमर रहे।
थक कर बहुत सो चुके हो अब हर दिन हँस कर जागना शुरू कर दो।
ज़िन्दगी गुलज़ार है इसलिए यहाँ ग़मों को बाँटना बेकार है।
ज़िन्दगी और जुबाँ तब तक शांत रहती जब तक सब कुछ बेहतर रहता है।
परायों से जीतने में इतनी ख़ुशी नहीं मिलती,
जितनी कभी-कभी अपनों से हार कर मिल जाती है।
ज्यादा वो नहीं जीता जो ज्यादा सालों तक ज़िंदा रहता है,
बल्कि ज़्यादा वो जीता है जो ख़ुशी से जीता है।
दूर से सबको दूसरों की ज़िन्दगी अच्छी लगती है पर,
अगर सब नज़दीक से अपनी ज़िन्दगी देखेंगे,
तो सबको अपनी ज़िन्दगी अच्छी लगने लगेगी।
शायर बनना बहुत आसान है,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
गुलज़ार दर्द शायरी
एक सुकून सा मिलता है तुझे सोचने से भी,
फिर कैसे कह दूँ मेरा इश्क़ बेवजह सा है ।
अजीब सी दुनिया है यह साहब,
यहाँ लोग मिलते कम एक दूसरे में झाँकते ज्यादा हैं।
जिसे पा नहीं सकते जरूरी नहीं,
कि उसे प्यार करना भी छोड़ दिया जाए।
तेरे बगैर किसी और को देखा नहीं मैंने,
सूख गया वो तेरा गुलाब लेकिन फेंका नहीं मैंने।
पहले लगता था तुम ही दुनिया हो, अब लगता है तुम भी दुनिया हो।
तो कभी हुआ नहीं, गले भी लगे और छुआ नहीं।
जरा ठहरो तो नजर भर देखूँ, ज़मीं पे
चाँद कहाँ रोज-रोज उतरता है।
आँसू बहाने से कोई अपना नहीं होता,
जो अपना होता है वो रोने ही कहाँ देता है।
एक बार फिर इश्क़ करेंगे हम,
अभी सिर्फ भरोसा उठा है जनाजा नहीं।
मुझे खौफ कहाँ मौत का, मैं तो जिंदगी से डर गया हूँ।
बेवजह है तभी तो दोस्ती है, वजह होती तो साजिश होती।
दुश्मनी में भी दोस्ती का सिला रहने दिया
उसके सारे खत जलाए बस पता रहने दिया।
दोस्तों के नाम का एक ख़त जेब में रख कर क्या चला,
क़रीब से गुज़रने वाले पूछते इत्र का नाम क्या है?
गए थे सोचकर कि बात बचपन की होगी
मगर दोस्त मुझे अपनी तरक्क़ी सुनाने लगे।
सोचता हूँ दोस्तों पर मुकदमा कर दूँ,
इसी बहाने तारीखों पर मुलाक़ात तो होगी।
दोस्ती और मोहब्बत में फर्क सिर्फ इतना है
बरसों बाद मिलने पर मोहब्बत नजर चुरा लेती और दोस्ती सीने से लगा लेती है।
मैंने जिंदगी में दोस्त नहीं ढूँढे, मैंने एक दोस्त में जिंदगी ढूँढी है.
कुछ रिश्तो में मुनाफा नहीं होता पर ज़िन्दगी को अमीर बना देते हैं।
दौलत नहीं, शोहरत नहीं, न वाह-वाह चाहिए,
कैसे हो? बस दो लफ्ज़ों की परवाह चाहिए !
कब आ रहे हो मुलाकात के लिए मैंने चाँद रोका है एक रात के लिए।
जिंदगी छोटी नहीं होती है, लोग जीना ही देरी से शुरू करते हैं।
ए दोस्ती का गणित है साहब यहाँ दो में से एक गया तो कुछ नहीं बचता।
आज़माना अपनी यारी को पतझड़ में मेरे दोस्त
सावन में तो हर पत्ता हरा नजर आता है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा, यार ने कैसी रिहाई दी है।
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ,
किसी की आँख में हम को भी इंतजार दिखे।
● गुलज़ार की अन्य उम्दा शायरियाँ
गुलजार हिंदी शायरी के जाने-माने शायर हैं, नीचे उनकी अन्य उम्दा शायरियाँ दी गई हैं-
कोई पूछ रहा है मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आई और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको,
क्या हुआ आज ए किस बात पे रोना आया?
सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।
बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीखो।
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