Indian Freedom Struggle in Hindi (7 Turning Points of Indian Freedom in Hindi)
साल 1920 का असहयोग आंदोलन, 1930 की दांडी यात्रा और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन जैसे मूवमेंट्स के कारण भारत की आजादी की राह आसान तो हो गई, लेकिन इस संघर्ष में असली टर्निंग पॉइंट कुछ और भी थे। इन टर्निंग पॉइंट्स से गुजरकर ही भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो सका। (Indian Freedom Struggle in Hindi with Detail)
वर्ल्ड वार के बाद अंग्रेजों ने न केवल भारत को, बल्कि इसी दौरान उन देशों को भी आजाद कर दिया जहाँ आजादी के लिए कोई आंदोलन नहीं चल रहा था, जैसे जॉर्डन (1946), फलस्तीन (1947), श्रीलंका (1948), म्यांमार (1948) और इजिप्ट (1952)। युद्ध में तबाही झेलने वाले अन्य देशों जैसे फ्रांस ने 1949 में लाओस और 1953 में कम्बोडिया को आजाद कर दिया। नीदरलैंड्स ने 1949 में ईस्ट इंडीज के कई देशों के साथ-साथ इंडोनेशिया को आजाद किया।
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