Ozone Layer Information in Hindi ओज़ोन एवं ओज़ोन परत
ओज़ोन एक हल्के नीले रंग की गैस होती है जो आक्सीजन के तीन परमाणुओं (O3) का यौगिक है। ओज़ोन परत सामान्यत: धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊँचाई के बीच पाई जाती है। यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है। Ozone Layer Information in Hindi
सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों से ओज़ोन परत हमें बचाती है, मगर जहरीली गैसों से ओज़ोन परत में एक छेद हो गया है और अब इस छेद को भरने के प्रयास हो रहे हैं। यह जहरीली गैसें हम इंसानों द्वारा ए.सी. और कूलर जैसे उत्पादों में इस्तेमाल होती हैं। अपना जीवन अधिक से अधिक आरामदायक बनाने के लिए हम दिन-प्रतिदिन प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ कर रहे हैं यही उसका नतीजा है। पिछले दो दशकों से समताप मण्डल में ओज़ोन की मात्रा कम हो रही है।
इसका मुख्य कारण रेफ्रिजरेटर व वातानुकूलित उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली गैस, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन और हैलोन हैं। यह गैसें ऐरोसोल में तथा फोम की वस्तुओं को फुलाने और आधुनिक अग्निशमन उपकरणों में प्रयोग की जाती हैं। यही नहीं, सुपर सोनिक जेट विमानों से निकलने वाली नाइट्रोजन आक्साइड भी ओज़ोन की मात्रा को कम करने में मदद करती है। ओज़ोन की परत विशेष तौर से ध्रुवीय वातावरण में बहुत कम हो गई है। ओज़ोन परत का एक छिद्र अंटार्कटिका के ऊपर स्थित है।
आमतौर पर ये पराबैंगनी किरण (अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन) सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली एक किरण है जिसमें ऊर्जा ज्यादा होती है। यह ऊर्जा ओज़ोन की परत को नष्ट या पतला कर रही है। इन पराबैंगनी किरणों को तीन भागों में बाँटा गया है और इसमें से सबसे ज्यादा हानिकारक यूवी-सी 200-280 होती है। ओज़ोन परत हमें उन किरणों से बचाती है, जिनसे कई तरह की बीमारियाँ होने का खतरा रहता है।
पराबैगनी किरणों (अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन) की बढ़ती मात्रा से चर्म कैंसर, मोतियाबिंद के अलावा शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। यही नहीं, इसका असर जैविक विविधता पर भी पड़ता है और कई फसलें नष्ट हो सकती हैं। इनका असर सूक्ष्म जीवाणुओं पर होता है। इसके अलावा यह समुद्र में छोटे-छोटे पौधों को भी प्रभावित करती जिससे मछलियों व अन्य प्राणियों की मात्रा कम हो सकती है।
ओज़ोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले दो दशक से इसे बचाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन 23 जनवरी , 1995 को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरुकता लाने के लिए 16 सितम्बर को अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। उस समय लक्ष्य रखा गया कि, पूरे विश्व में 2010 तक ओज़ोन फ्रेंडली वातावरण बनाया जाए। हालाँकि अभी भी लक्ष्य दूर है लेकिन ओज़ोन परत बचाने की दिशा में विश्व ने उल्लेखनीय कार्य किया है।
ओज़ोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि, आज बाज़ार में ओज़ोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। इस परत को बचाने के लिए जरूरी है कि, फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो। रूम फ्रेशनर्स व केमिकल परफ्यूम का उपयोग न किया जाए और ओज़ोन फ्रेंडली रेफ्रीजरेटर, एयर कंडीशन का ही इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा अपने घर की बनावट ओज़ोन फ्रेंडली तरीके से किया जाए, जिसमें रोशनी, हवा व ऊर्जा के लिए प्राकृतिक स्त्रोतों का प्रयोग हो।
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